Wednesday, April 25, 2012

ॐ नमः शिवाय






ॐ   नमः   शिवाय
શિવમાં જીવ છે,જીવમાં શિવ છે,શિવ અને શિવાએ જીવનું સ્વરુપ છે,
જ્યાં જીવ છે,ત્યાશિવ અને શિવાનું મિલન છે.તેજ આ સંસારની શ્રેષ્ઠ ઘટના

‘भगवान् शिव की स्तुति’ का नित्य पाठ करें।

“यस्याङ्के च विभाति भूधरसुता देवापगा मस्तके
भाले बालविधुर्गले च गरलं यस्योरसि व्यालराट,
सोऽयं भूतिविभूषणः सुरवरः सर्वाधिपः सर्वदा शर्वः
सर्वगतः शिवः शशिनिभः श्रीशङ्करः पातु माम ||” (अयोध्याकाण्ड, श्लो॰१)


अर्थः- जिनकी गोद में हिमाचल-सुता पार्वतीजी, मस्तक पर गंगाजी, ललाट पर द्वितीया का चन्द्रमा, कण्ठ में हलाहल विष और वक्षःस्थल पर सर्पराज शेषजी सुशोभित हैं, वे भस्म से विभूषित, देवताओं में श्रेष्ठ, सर्वेश्वर, संहार-कर्त्ता, सर्व-व्यापक, कल्याण-रुप, चन्द्रमा के समान शुभ्र-वर्ण श्रीशंकरजी सदा मेरी रक्षा करें।