Wednesday, July 16, 2014

Shivji Ki Arti



शिवजी की आरती

कर्पूरगौरं करुणावतारं, संसारसारं भुजगेन्द्रहारम् |

सदावसन्तं हृदयारविन्दे, भवं भवानीसहितं नमामि ||

ॐ जय शिव ॐकारा, स्वामी हर शिव ॐकारा |
ब्रह्मा विष्णु सदाशिव अर्धांगी धारा || – ॐ जय शिव ॐकारा

एकानन चतुरानन पंचानन राजे, स्वामी पंचानन राजे |
हंसासन गरुड़ासन वृष वाहन साजे || – ॐ जय शिव ॐकारा

दो भुज चारु चतुर्भुज दस भुज से सोहे, स्वामी दस भुज से सोहे |
तीनों रूप निरखते त्रिभुवन जन मोहे || – ॐ जय शिव ॐकारा

अक्षमाला वनमाला मुण्डमाला धारी, स्वामि मुण्डमाला धारी |
चंदन मृग मद सोहे भाले शशि धारी || – ॐ जय शिव ॐकारा

श्वेताम्बर पीताम्बर बाघाम्बर अंगे, स्वामी बाघाम्बर अंगे |
सनकादिक ब्रह्मादिक भूतादिक संगे || – ॐ जय शिव ॐकारा

कर में श्रेष्ठ कमण्डलु चक्र त्रिशूल धरता, स्वामी चक्र त्रिशूल धरता |
जगकर्ता जगहर्ता जग पालन कर्ता || – ॐ जय शिव ॐकारा

ब्रह्मा विष्णु सदाशिव जानत अविवेका, स्वामि जानत अविवेका |
प्रणवाक्षर में शोभित यह तीनों एका || – ॐ जय शिव ॐकारा

निर्गुण शिवजी की आरती जो कोई नर गावे, स्वामि जो कोई नर गावे |
कहत शिवानंद स्वामी मन वाँछित फल पावे || – ॐ जय शिव ॐकारा

|| ॐ नमः पार्वती पतये हर हर महादेव ||

No comments:

Post a Comment