by : OM NAMAH SHIVAY on face book
http://www.facebook.com/mahakaal
भगवन शिव का स्वरूप अदभुत है ,भोले नाथ की महिमा अपार है ..सब शक्तिया शिव से ही उपजी है ..शिव ही सत्य का मूल है ! जब शंकर जी अपने विराठ रूप में आते है तब सभी शक्तिया उन में विलीन हो जाती है ! ऐसी महाशक्ति को हमारा कोटि कोटि प्रणाम ! जय जय भोले नाथ !
शिव शम्भो शम्भो, शिव शम्भो महादेव, हर हर हर हर महादेव, शिव शम्भो महादेव, हाला हाला धरा शम्भो, हे अनाठा नाठा शम्भो, हरी ॐ हरी ॐ हरी ॐ नमः शिवाय
ॐ नमः शिवाय Om Namah Shivay
ॐ त्र्यम्भाकम यजामहे सुगंधिम पुष्टिवर्धनम | उर्वारुकमिव बन्धनं मृत्योर मुक्षीय म...ामृतात |
आप सभी पर देवों के देव महादेव की अशीम कृपा आप पे सदा बनी रहे ...
जय भोलेनाथ Om Namah Shivay
जय शिव ओंकारा, भज शिव ओंकारा।
ब्रह्मा, विष्णु, सदाशिव अद्र्धागी धारा॥
हर हर हर महादेव॥
एकानन, चतुरानन, पंचानन राजै।
हंसासन, गरुडासन, वृषवाहन साजै॥ \हर हर ..
दो भुज चारु चतुर्भुज, दशभुज ते सोहे।
तीनों रूप निरखता, त्रिभुवन-जन मोहे॥ \हर हर ..
अक्षमाला, वनमाला, रुण्डमाला धारी।
त्रिपुरारी, कंसारी, करमाला धारी। \हर हर ..
श्वेताम्बर, पीताम्बर, बाघाम्बर अंगे।
सनकादिक, गरुडादिक, भूतादिक संगे॥ \हर हर ..
कर मध्ये सुकमण्डलु, चक्र शूलधारी।
सुखकारी, दुखहारी, जग पालनकारी॥ \हर हर ..
ब्रह्माविष्णु सदाशिव जानत अविवेका।
प्रणवाक्षर में शोभित ये तीनों एका। \हर हर ..
त्रिगुणस्वामिकी आरती जो कोई नर गावै।
कहत शिवानन्द स्वामी मनवान्छित फल पावै॥ \हर हर .. — with Stelios Kairis, Davinder Ginni, Vikas Aggarwal and 45 others.
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भगवन शिव का स्वरूप अदभुत है ,भोले नाथ की महिमा अपार है ..सब शक्तिया शिव से ही उपजी है ..शिव ही सत्य का मूल है ! जब शंकर जी अपने विराठ रूप में आते है तब सभी शक्तिया उन में विलीन हो जाती है ! ऐसी महाशक्ति को हमारा कोटि कोटि प्रणाम ! जय जय भोले नाथ !
शिव शम्भो शम्भो, शिव शम्भो महादेव, हर हर हर हर महादेव, शिव शम्भो महादेव, हाला हाला धरा शम्भो, हे अनाठा नाठा शम्भो, हरी ॐ हरी ॐ हरी ॐ नमः शिवाय
ॐ नमः शिवाय Om Namah Shivay
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आप सभी पर देवों के देव महादेव की अशीम कृपा आप पे सदा बनी रहे ...
जय भोलेनाथ Om Namah Shivay
जय शिव ओंकारा, भज शिव ओंकारा।
ब्रह्मा, विष्णु, सदाशिव अद्र्धागी धारा॥
हर हर हर महादेव॥
एकानन, चतुरानन, पंचानन राजै।
हंसासन, गरुडासन, वृषवाहन साजै॥ \हर हर ..
दो भुज चारु चतुर्भुज, दशभुज ते सोहे।
तीनों रूप निरखता, त्रिभुवन-जन मोहे॥ \हर हर ..
अक्षमाला, वनमाला, रुण्डमाला धारी।
त्रिपुरारी, कंसारी, करमाला धारी। \हर हर ..
श्वेताम्बर, पीताम्बर, बाघाम्बर अंगे।
सनकादिक, गरुडादिक, भूतादिक संगे॥ \हर हर ..
कर मध्ये सुकमण्डलु, चक्र शूलधारी।
सुखकारी, दुखहारी, जग पालनकारी॥ \हर हर ..
ब्रह्माविष्णु सदाशिव जानत अविवेका।
प्रणवाक्षर में शोभित ये तीनों एका। \हर हर ..
त्रिगुणस्वामिकी आरती जो कोई नर गावै।
कहत शिवानन्द स्वामी मनवान्छित फल पावै॥ \हर हर .. — with Stelios Kairis, Davinder Ginni, Vikas Aggarwal and 45 others.
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